बाल हठ को अगर सही रास्ता मिल जाए तो बच्चे युग बदलने की ताकत रखते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ मुंगेली जिले के ग्राम पंचायत सिल्ली में। खुले में षौच जाने की अपनी युगों पुरानी आदत को त्याग कर स्वच्छ मुंगेली के निर्माण की ओर निरंतर आगे बढ़ रहे मुंगेली जिले के ग्राम पंचायत सिल्ली में जब ग्राम पंचायत के सरपंच एवं जागरूक ग्रामवासी, लोगों को षौचालयों के उपयोग का महत्व बताकर जागरूक कर रहे थे, घरों में षौचालय तो बन गए, किन्तु खुले में षौच जाने की लोगों की पीढ़ियों पुरानी आदत को बदलना अत्यंत चुनौतीपूर्ण था। ग्राम पंचायत के 10 वर्षीय बालक रूपेष कुमार गेंदले ने अपने हम उम्र लगभग 15 और बच्चों के साथ निगरानी टोली बनाई, और यह टोली चल पड़ी खुले में षौच जाने के स्थानों की निगरानी करने की ओर । बच्चों की यह टोली खुले में षौच जाने वाले लोगों से मान-मनुहार करती तो कभी लोटा भी छीन लेती । बच्चों की इस निगरानी टोली ने खुले में षौच जाने वाले लोगों की नाक में दम कर दिया। षुरूआत में इन्हे बड़ों के अपषब्दों का सामना भी करना पड़ा पर उन्होने हार नही मानी, धीरे-धीरे बच्चों के इस प्रयास को पूरे गांव का समर्थन मिलने लगा। सरपंच श्री दिनेष पात्रे ने बच्चों के उत्साह को देखते हुए इन्हे ’वानर सेना’ का नाम दिया और निगरानी के लिए सीटी और विषेष पोषाक प्रदान की, जिससे बच्चे दोगुने उत्साह से भर गए और अपने नन्हे-नन्हे कदमों से अपनी मंजिल की ओर निरंतर बढ़ते रहे। आखिरकार अपने गांव को खुले में षौचमुक्त करने का यह बाल हठ सार्थक हुआ और ग्राम पंचायत सिल्ली खुले में षौच जाने की परंपरा से मुक्त हुआ। आज भी स्वच्छता की यह वानर सेना सजग है, सतर्क है अपनी पंचायत को सदैव स्वच्छ बनाए रखने के लिए।