श्री रामसुंदर लोहार धमतरी जिले के ग्राम पंचायत नवागांव ’स’ में 20 ग् 20 के छोटे से मकान में अपने परिवार के साथ गुजर-बसर करते थे, उनके घर में षौचालय नही था। भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जब स्वच्छता का आदर्ष बन चुकी 104 वर्षीय कुंवर बाई को डोंगरगढ़ में सम्मानित किया श्री रामसुंदर लोहार के लिए यह सबसे बड़ी प्रेरणा थी । जब 104 वर्ष की वृद्धा मां स्वच्छता की खातिर अपनी बकरियां बेचकर षौचालय बना सकती हैं तो हम क्यूं नही। श्री रामसुंदर लोहार को यह बात समझ में आ गई थी कि षौचालय के बिना घर, घर नही सिर्फ एक मकान है, खुद को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए षौचालय का होना बहुत जरूरी है। यह बात समझ में आते ही रामसुंदर लोहार ने ऐसा निर्णय लिया कि गांव वाले उन्हे पागल की संज्ञा देने लगे। रामसुंदर लोहार ने षौचालय बनाने के लिए अपना मकान तोड़ दिया और मकान से निकले ईंटों से पक्के षौचालय का निर्माण षुरू किया, उनके इस कार्य में उनकी अद्र्धांगिनी श्रीमती गौरीबाई ने भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। स्वच्छता के प्रति उनके इस जुनून ने ग्रामवासियों को और भी प्रेरित किया और सभी के एकजुट प्रयास से ग्राम पंचायत नवांगाव ’स’ खुले में षौचमुक्त हो गया। रामसुंदर लोहार अपनी पत्नी के साथ झोपड़ी बनाकर जीवन-यापन कर रहे हैं पर वे खुष हैं, सतंुष्ट हैं कि अपने ग्राम पंचायत को खुले में षौचमुक्त बनाने की दिषा में एक कदम उनका भी था।